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महिला कृषक हकदारी अधिकार के लिए त्रिवेंद्रम में राष्ट्रीय सम्मेलन

  • Writer: Ekta Parishad
    Ekta Parishad
  • Aug 16, 2018
  • 3 min read


भूमि एवं सम्पति के अधिकार में महिलाओं के साथ सदियों से चले आ रही भेदभावपूर्ण रीति के चलते महिलाओं को भय एवं असम्मानजनक परिस्थतियों में जीने को मजबूर होना पड़ता है अतः एकता परिषद के साथ जुड़ी एकता महिला मंच ने राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के भूमि अधिकार को पानेके लिए अभियान चलाया जिसका शुभारम्भ देश के दक्षिणी छोर त्रिवेंद्रम से राष्ट्रीय महिला भूमि अधिकार सम्मेलन में किया जा रहा है ,इस सम्मेलन का उद्घाटन प्रसिद्ध समाज सेवी श्री मती कृष्णममलाल जगन्नाधन ने किया ।

इस अवसर पर बोलते हुए श्रीमती जगन्नाधन ने कहा कि महात्मा गांधी ने न्याय एवं सत्य पर आधारित समाज की कल्पना की थी अतः हम सभी को मिल कर गांधी जी के सपनों का भारत बनाना है यह काम अब महिलाओं को पूरा करना है महिलाओं में अपार शक्ति है यदि पूरे देश की महिलाएं जागरूक होकर देश के निर्माण में लग जाएं तो हम गांधी जी के सपनों के भारत को जरूर बना पाएंगे ।


कार्यक्रम का संचालन करते हुए श्रीमती मगलीन फ़ॉलोमीना  puthuvaippin movement केरला ने कहा कि पूरे देश की महिलाओं को न्यायसंगत समाज के निर्माण के लिए एक साथ आने की जरूरत है ।


इस अवसर पर एकता परिषद के संस्थापक श्री राजागोपाल जी ने संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी अफ्रीका गए थे तब उन्हें नही पता था कि न्याय के लिए वहां सत्याग्रह करना पड़ेगा लेकिन वहां काले गोरे के भेदभाव के खिलाफ सत्याग्रह किया महिलाओं के अंदर जो करुणा है उस शक्ति से समाज को बदलना है समाज में भेदभाव बहुत है इसके खिलाफ श्री मति जगन्नामधन ने महिलाओं के अंदर की करुणा को जगाकर लोगों को जीवन जीने के संसाधनों पर अधिकार दिलाने का काम किया ।

श्री पवित्रंण जी ने कहा कि सभी को घर बनाने के लिए सभी को भूमि की जरूरत है इसलिए महिलाओं को घर बनाने के लये भूमि पाने के अधिकार को पूरी ताकत के साथ उठाने की जरूरत है ।


कर्नाटक की प्रसिद्ध समाज सेवी सुधा जी ने कहा कि भूमि के अधिकार के अभाव में देश में हिंसा बढ़ रही है लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं इसलिए भूमि के अधिकार के लिए महिलाएं आंदोलन का नेतृत्व करें ।

जमीन में महिलाओं का कानूनी अधिकार मिलने से ही महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा। एकता परिषद के संस्थापक श्री राजागोपाल जी ने महिला भूमि यात्रा पर 45 दिन के लिए निकलने वाली श्रीमती श्रद्धा कश्यप, कस्तूरी बहिन और शोभा बहिन का सभी के साथ परिचय कराया । आगे उन्होंने कहा कि जमीन बेचने की वस्तु नहीं है धरती तो देश की मां है जो सभी का ख्याल रखती है सभी को खाने के लिए देती है जमीन कोई उपभोग की बस्तु नहीं है


राष्ट्रीय महिला भूमि सम्मेलन को संबोधित करते हुऐ एकता परिषद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती श्रद्धा कश्यप ने कहा कि हम यहां से 45 दिन की महिला भूमि अधिकार यात्रा पर पूरे देश एवं देश की महिलाओं की जगाने के लिए निकल रहे है ताकि महिलाएं अधिकार के साथ सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें । एकता परिषद ने देश में न्याय संगत समाज के लिए काफी संघर्ष किया है लेकिन महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना अभी बाकी है इसलिये हम इन सम्मान की लड़ाई में पूरे देश को एक साथ आने का काम करेंगे । हम चाहते हैं कि प्रकृति बचे और उसको बचाने में महिलाओं को प्रकृति में अधिकार मिले ताकि वे प्रकृति को बचाने में आगे आ सकें ।


सम्मेललन में महाराष्ट्र से आई बैशाली जी ने कहा कि मुझे यहां अलग अलग राज्यों से आई महिला कार्यकर्ताओं को देख कर अत्यंत खुसी हो रही है , भूमि का अधिकार कोई एक कागज का टुकड़ा नहीं है महिलाएं भौतिक रूप से प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार चाहती हैं ताकि उसका संरक्षण एवं संवर्धन करते हुये सम्मान पूर्वक जीवन जी सकें आगे वैशाली जी ने कहा कि जब हम महिला किसानों की बात करते हैं इसका मतलब जमीन पर जीने वाले परिवारों के स्वाभिमान की बात है । महिला भूमि अधिकार की लड़ाई जहां एक तरफ सरकार के साथ लड़ाई है वहीं दूसरी तरफ समाज के साथ भी लड़ाई है । जब महिलाओं के नाम पर जमीन होगी तो वे उसकी देख भाल भी मां की तरह करेगी


लोक संघर्ष मोर्चा महाराष्ट्र की प्रमुख प्रतिभा पाटिल जी ने कहा कि महिलाएं घर और बाहर लगातार श्रम करती हैं लेकिन उनके श्रम को मान्यता नहीं मिलती है महिलाओं के श्रम एवं उनके मालिकाना अधिकार की देश में जिस प्रकार उपेक्षा की जाती है यह दुर्भाग्यपूर्ण है धर्म के नाम पर, जाति का नाम पर, जमीन के अधिकार के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव है जबकि महिलाये हर आंदोलन में हमेशा आगे रहकर जीत दिलाने में अपनी भूमिका निभाती है इसलिए महिलाओं के सम्मान के सभी स्तर पर महिलाओं को बराबर का अधिकार समाज को मजबूती वरदान करेगा

 
 
 

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